- Kanika Chauhan
मेरा घर !!
मां ने सिखाया था बचपन में बेटी जोर से मत हंसना, धीरे बोलना… जब मैं पुछती थी कि क्यों मां ?? तो मां कहती थी कि हंसना जब तू अपने घर जाएगी !! बोलना उससे जिसके साथ ब्याहेगी मैं समझ तो गई पर कुछ कह न पाई… आंखों में सपने सजोकर चल दी अपने ससुराल सोचा कि अब खिलखिलाऊंगी… मगर यह क्या यहां भी वही शब्द गूंजते हैं, और सब कहते हैं तू पराई है, अपने घर से क्या लाई है ?? कौन सा मेरा घर है… वो जहां मैंने जन्म लिया या वो जहां मुझे ब्याहा दिया गया !!
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