- Kanika Chauhan
जन्माष्टमी का व्रत कब रखें ?
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस है। लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि जन्माष्टमी 23 अगस्त को मनाई जाए या फिर 24 अगस्त को।
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी भादों माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। अगर अष्टमी तिथि के हिसाब से देखें तो 23 अगस्त को जन्माष्टमी होनी चाहिए, लेकिन अगर रोहिणी नक्षत्र को मानें तो फिर 24 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी होनी चाहिए।
इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति, आयु तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर व्यक्ति अपनी हर मनोकामना पूरी कर सकता है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वो आज पूजा करके विशेष लाभ पा सकते हैं।

जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
जन्माष्टमी की तिथि:- 23 अगस्त और 24 अगस्त
अष्टमी तिथि प्रारंभ:- 23 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त:- 24 अगस्त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ:- 24 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र समाप्त:- 25 अगस्त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक
जन्माष्टमी का महत्त्व और अर्थ क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को हुआ था। जिसकी वजह से इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए जन्माष्टमी के निर्धारण में रोहिणी नक्षत्र का बहुत ज्यादा ध्यान रखते हैं।
श्रीकृष्ण देते हैं वरदान
इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति, आयु तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है।
जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं। इस बार जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनाई जाएगी। कैसे करें जन्माष्टमी के लिए श्रीकृष्ण की मूर्ति का चुनाव?
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है।
आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरुप को चाहें स्थापित कर सकते हैं।
प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंशी वाले कृष्ण की स्थापना करें।
इस दिन शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं। इनके श्रृंगार की क्या व्यवस्था करें?
श्री कृष्ण के श्रृंगार में फूलों का विशेष महत्त्व होता है।
अतः अलग अलग तरीके के फूलों की व्यवस्था करें, वैजयंती के फूल मिल जाएं तो सबसे ज्यादा उत्तम होगा।
पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध की व्यवस्था भी करें।
इन सभी वस्तुओं से भगवान का श्रृंगार होगा।
कृष्ण जन्म के बाद उनको झूले में बैठाकर झुलाया जाता है, अतः सुन्दर से झूले की व्यवस्था भी करें। इनके भोग के लिए क्या व्यवस्था करें?
पंचामृत जरूर बनाएंगे, उसमें तुलसी दल डाला जाएगा।
मेवा,माखन और मिश्री की व्यवस्था भी कर सकते हैं।
कहीं कहीं, धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है।
पूर्ण सात्विक भोजन, जिसमें सभी तरह के व्यंजन हों , इस दिन श्री कृष्ण को अर्पित किये जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन की शुरुआत कैसे करें?
प्रातःकाल स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें।
दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें, सात्विक रहें।
दिन भर भगवान के स्थान की सज्जा करें।
मुख्य द्वार पर वंदनवार जरूर लगाएं।
मध्यरात्रि के भोग और जन्मोत्सव के लिए व्यवस्था करें।
आप व्रत रखें या न रखें, घर में सात्विक आहार का ही प्रयोग करें।