- Kanika Chauhan
उत्तरी कर्नाटक का ऐतिहासिक शहर सिरसी
उत्तर कर्नाटक में स्थित सोंडा राजवंश के शहर सिरसी को कलायनापट्टनम कहा जाता है। ये शहर अनेक मंदिरों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर की आय का प्रमुख स्रोत खेती है और यहां अदिके और अरेकनट की खेती की जाती है। सिरसी अरकेनट के व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र है। सिरसी में बड़े ही अनोखे तरीके से होली का त्योहार मनाया जाता है। होली उत्सव से पहले यहां पांच दिन तक कलाकारों द्वारा लोक नृत्य बेदारा वेशा की प्रस्तुति की जाती है। इसके अलावा डोल्लू कुनिथा नृत्य भी किया जाता है जिसमें लोग डोल्लू नामक ड्रम को बजाते हैं और उसकी धुन पर नाचते हैं।
सिरसी में सर्दी के समय मौसम सुहावना रहता है इसलिए अक्टूबर से फरवरी तक आना बेहतर रहेगा। बैंगलोर से सिरसी का रूट
रूट 1 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ – एनएच 48 – सिरसी-हावेरी रोड़ – एनएच 48 से बाहर निकलें – सिरसी-हुबली-बेलगाम रोड़ – सिरसी (405 किमी – 6 घंटे 30 मिनट)
रूट 2 : राज महल विलास एक्सटेंशन – बैंगलोर-हैदराबाद हाइवे – आंध्र प्रदेश – मणियुर में एनएच 48 – चित्रदुर्ग में मदकाशीरा रोड़ – एसएच 48 – सिरसी-हावेरी रोड़ – एनएच 48 से बाहर निकलें – सिरसी-हुबली-बेलगाम रोड़ – सिरसी (492 किमी – 8 घंटे 35 मिनट)
रूट 3 : सीएनआर राव अंडरपास / सीवी रमन रोड़ – एनएच 75 – टी नरसिपुरा-सिरा रोड़ – एनएच 180 ए – बेडिसवेस्ट – टिपटुर रोड़ – थुरुवेकेरे रोड़ – टिप्टूर में एनएच 73 – एनएच 69 – सिद्दापुर-तलगुप्पा रोड़ – सिद्दापुर-सिरसी रोड़ – सिरसी (429 किमी – 8 घंटे 45 मिनट)

जल्दी पहुँचने के लिए आप पहले रूट को अपना सकते हैं…बैंगलोर से सिरसी के रास्ते में कई खूबसूरत मंदिर और जगहें हैं, जिन्हें आप निहार सकते हैं…
शिवगंगा
बैंगलोर से 52.3 किमी दूर स्थित है शिवगंगे। शिवगंगे में आपके मन और आत्मा को शांति की अनुभूति तो होगी ही साथ ही आप यहां रोमांच का भी भरपूर मज़ा ले सकते हैं। शिवगंगे पर्वत शिवलिंग के आकार का है और इसके पास ही गंगा नदी भी बहती है। इन दो कारणों से ही इस जगह का नाम शिवगंगे पड़ा है। यहां पर आप रॉक क्लाइंबिंग और ट्रैकिंग का ज़ा ले सकते हैं। इस पर्वत से आसपास का बेहद सुंदर नज़ारा दिखाई देता है।

टुमकुर में देवरायनदुर्ग
देवरायनदुर्ग पहाड़ी इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसकी पर्वत चोटि पर कई मंदिर स्थित हैं जिनमें से अनेक मंदिर योगनरस्मिहा और भोगनरसिम्हा को समर्पित हैं। पर्वत की तलहटी में बसा है प्राकृतिक झरना जिसे नमादा चिलुमे कहते हैं। किवदंती है कि वनवास काल के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने इस पर्वत पर शरण ली थी।

कग्गालाडु हेरोन्री देवरायनदुर्ग से 75 किमी दूर है छोटा सा गांव कग्गालाडु जो कि पक्षी अभ्यारण्य के लिए प्रसिद्ध है। इस अभ्यारण्य की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि 1993 में इमली के पड़े पर ग्रे हेरॉन्स पाए जाते थे। इन पक्षियों को संरक्षित करने के लिए स्थानीय लोगों यहां इमली के पेड़ों की कटाई करना बंद कर दिया। ग्रे हेरॉन्स के बाद इस अभ्यारण्य में बड़ी संख्या में पेंटेड स्टॉर्क्स पाए जाते हैं।

चित्रादुर्ग
चित्रादुर्ग में आपको चालुक्य राजवंश के स्मारक दिखाई देंगें। चंद्रावल्ली और चित्रादुर्ग किला होने के कारण इस शहर का ऐतिहासिक महत्व है। चंद्रावल्ली की खुदाई में कई राजवंशों के सिक्के और अन्य कलाकृतियां पाई गईं हैं। चंद्रावल्ली की भूमिगत गुफाएं पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। भूमि से 80 फीट नीचे स्थित ये गुफाएं अंकाली मठ के नाम से जानी जाती हैं। इस जगह के पास स्थित झील इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है। चित्रादुर्ग किले को इस शहर पर शासन करने वाले कई राजाओं द्वारा बनवाया और विकसित किया गया है। इस किले में अनेक मंदिर हैं और इसे कल्लिना कोटे भी कहा जाता है।

देवानगेरे में बेन्ने दोसे
कर्नाटक आए हैं तो इस शहर की लोकप्रिय डिश बेन्ने दोसे जरूर खाएं। इस जगह की खास डिश है बेन्ने दोसे जोकि काफी स्वादिष्ट भी है। देवानगेरे आएं तो इस डिश को खाना बिलकुल ना भूलें। देवानगेरे में कई दर्शनीय मंदिर भी हैं जैसे हरिहरेश्वर मंदिर और दुर्गांबिका मंदिर।

रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य
देवानगेरे से 45 किमी दूर है रनेबेन्नुर ब्लैक बक अभ्यारण्य। इस राज्य में कई ब्लैकबक और कृष्णमुर्ग पाए जाते हैं। यहां 6000 ब्लैकबक पाए जाते हैं। इस अभ्यारण्य में यूकेलिप्टस के खेतों से घिरा है और यहां पर कई तरह के जानवर जैसे सियार, लंगूर, लोमड़ी आदि। दुर्लभ प्रजाति का पशु ग्रेट इंडियन बस्टर्ड भी यहां पाया जाता है।

हावेरी
इस शहर में भी कई देवी-देवताओं के अनेक मंदिर हैं। हुक्केरी मठ, तारकेश्वर मंदिर, कादंबेश्वर मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, नागरेश्वर मंदिर आदि जैसे मंदिर इस जिले में देख सकते हैं। हावेरी में मंदिरों के अलावा बनकापुरा मोर अभ्यारण्य भी लोकप्रिय स्थल है। देश में मोरों को संरक्षित करने के लिए बहुत ही कम अभ्यारण्य हैं और ये उनमें से ही एक है। इसके अलावा यहां पक्षियों की भी कई प्रजातियां जैसे पैराकीट, किंगफिशर, स्पॉट वुडपैकर्स आदि देख सकते हैं।

मरिकंबा मंदिर
हावेरी से 80 किमी दूर सिरसी में स्थित है मरिकंबा को समर्पित मरिकंबा मंदिर। मरिकंबा, मां दुर्गा का ही एक स्वरूप है। 1688 में बने इस मंदिर में देवी दुर्गा की 7 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के कॉरिडोर में हिंदू धर्म के देवी-देवताओं की तस्वीरें हैं। दो साल में एक बार मरिकंबा मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में मंदिर की मूर्ति को एक सप्ताह के लिए रथ पर स्थापित किया जाता है। इस रथ को मरिकंबा गड्डुगे कहा जाता है। इस दौरान मंदिर में भक्तों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है।

मधुकेश्वर मंदिर
सिरसी के रास्ते में मधुकेश्वर मंदिर भी पड़ता है। माना जाता है कि कादंबा राजवंश के दौरान इस मंदिर को बनवाया गया था। बाद में अलग-अलग राजवंशों ने इसमें बदलाव किया। बनावसी याहर में स्थित ये मंदिर मरिकंबा मंदिर से 23 किमी दूर स्थित है। भगवान यिाव को समर्पित इस मंदिर की बेजोड़ स्थापत्यकला है।

बेन्ने होल झरना बेन्ने होल का मतलब है बटरी स्ट्रीम ऑफ वॉटर! अग्नाशिनी नदी द्वारा स्थापित उपनदी है बेन्ने होन झरना जोकि 200 फीट ऊंचा है। एडवेंचर पंसद है तो आप यहां ट्रैकिंग भी कर सकते हैं। यहां 2 किमी लंबा ट्रैक है जोकि काफी मुश्किल है।

कैलाश गुड्डा
सिरसी से 99 किमी दूर है कैलाश गुड्डा। इस पर्वत के आसपास बहुत हरियाली है इसलिए आप यहां पिकनिक भी मना सकते हैं। पर्वत पर व्यू टॉवर भी है जहां से पूरे क्षेत्र का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है।

सहस्त्रलिंग सिरसी में सहस्त्र लिंग शलमला नदी के अंदर स्थित है। इस जगह की सबसे खास बात है कि इसमें बड़ी संख्या में शिवलिंग हैं जिन्हें पत्थरों पर उकेरा गया है। इस नदी में कई पत्थर हैं और इन्हें ऊपर से ही साफ देखा जा सकता है। शिवरात्रि के दौरान पानी का स्तर कम हो जाता है और सहस्त्र यानि हज़ारों शिवलिंग नदी के ऊपर आ जाते हैं।