- Kanika Chauhan
आखिर क्यों है अंहकार!!!
बड़ा दिलचस्प शब्द है “अंहकार”…हम बड़ी आसानी से खुद को पाक-साफ दिखने के लिए दूसरों पर अहंकारी होने का आरोप लगा देता है लेकिन सच तो यह है अंहकार सब में होता है। फर्क सिर्फ इतना है कई लोग दुनिया को दिखाने के लिए अंहकार को आपने अंदर कहीं जकड़ के रखते है तो कई उसे दुनिया के आगे दिखा देता है। लेकिन अहंकार वो है जो कभी न कभी बाहर आ ही जाता है।
कहने वाले ने क्या खुब कहा है….अंहकार तो रावण का भी नहीं रहा था जो साने की लंका का राजा था….तो हम इसांन क्या चीज है। अहंकार इंसान में तब आता है जब वह इंसान किसी चीज में विशेषता प्राप्त कर लेता है तो वह उसके आधार पर उसका गलत इस्तेमाल करने लगाता है। किसी भी इंसान को कोई भी विशेषता दी जाती है ताकि वह उस से दूसरों का भला कर सकें पर वह ऐसा नहीं करता। हमें हमेशा अच्छे काम करने चाहिए और अंहकार से हमेशा बचना चाहिए।
अंहकार में इंसान सोचता है मेरे बिना तो कोई काम होगा ही नहीं तो भाई मैं ये बता दूं ये दुनिया किसी के लिए नही रूकती।दानी को दान के, धनवान को पैसे के, बलवान को ताकत के, नेता को कुर्सी के और लेखक को कलम की धार से बच कर रहना चाहिए। अंहकार न कभी किसी का रहा है…न कभी किसी का रहेगा…..